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Veerappan Story: वो अपराधी जिसने जयललिता की नींद उड़ा दी थी !

Veerappan Story: अपने अपराध जगत की कई कहानियां सुनी होंगी लेकिन इन कहानियों के बीच अगर वीरप्पन (Veerappan) का नाम ना लिया जाए तो शायद यह वीरप्पन के साथ ज्यादती होगी। वही वीरप्पन जिसकी शानदार मूछें और काले कपड़े उसकी पहचान हुआ करते थे।

Veerappan Story
जयललिता की नींद उड़ाने वाला वीरप्पन

‘अपने ही नवजात बेटी का कत्ल’

एक ऐसा व्यक्ति जिसने एक पुलिस अधिकारी के सिर के साथ फुटबॉल खेला सिर्फ इसलिए क्योंकि उस पुलिस अधिकारी ने उसे सबसे पहले गिरफ्तार किया था। एक ऐसा खूंखार और निर्दयी व्यक्ति जिसने अपने नवजात मासूम बच्ची का कत्ल कर दिया सिर्फ इसलिए क्योंकि उसके रोने की आवाज से उसके पकड़े जाने का भय था। एक ऐसा खूंखार व्यक्ति जिसका पेशा था अपराध, जिसमें महज 17 साल की उम्र में एक हाथी का शिकार किया था। हाथी का शिकार उसके पसंदीदा कामों में से एक था वह हाथी के माथे के बीचो बीच गोली मारकर उसका शिकार किया करता था।

‘खुलेआम पुलिस को चुनौती’

Veerappan Photos
पुलिस को खुलेआम चुनौती देता था वीरप्पन

20 साल तक पुलिस को चकमा देकर फरार रहने वाला वीरप्पन (Veerappan), सामने से पुलिस को चुनौती देकर कहता था की दम है तो पकड़ कर दिखाओ। 20 साल तक वीरप्पन (Veerappan) चुनौतियों से खेलता रहा लेकिन जब मौत उसके सामने आई तो महज 20 मिनट में 338 राउंड की गोलियां चली और महज दो गोलियों ने वीरप्पन को छलनी कर दिया।

‘वीरप्पन का जन्म’

वीरप्पन का जन्म 18 जनवरी 1952 को तमिलनाडु के गोपीनाथम में हुआ था। और महज 17 साल की उम्र में चंदन की लकड़ियों की तस्करी,और हाथी के शिकार में उसकी दिलचस्पी हो गई। हाथी का शिकार करने के लिए वो सर के बीचों बीच गोली मारता था। अपराध की दुनिया में धीरे धीरे 17 साल की उम्र से उसका प्रवेश होने लगा लेकिन ये साल 1993 था और उसकी उम्र 41 साल जब उसे पूरे भारत ने जान लिया।

वीरप्पन तमिलनाडु के जंगलों में छिपा रहता था और एक बार उसने तमिलनाडु पेट्रोल पुलिस के प्रमुख लहीम गोपालकृष्णन के लिए भद्दी भद्दी गलियों से भरे एक पोस्टर को कोलाथपुर गाँव में लगवाया। 9 अप्रैल 1993 की ये सुबह थी जब वीरप्पन के द्वारा लगाए गए इस बैनर पर लोगों की नजर गई। इस बैनर पर गोपालकृष्णन को साफ चुनौती देते हुए लिखा गया था की उनमें अगर दम है तो वो वीरप्पन को पकड़ कर दिखाएं।

‘वीरप्पन,उसके दोस्त और बस धमाका’

Friends of Veerappan
वीरप्पन और उसके दोस्त

गोपालकृष्णन को उनके दोस्त रैंबो बुलाया करते थे क्योंकि वह शरीर से काफी हट्ठे कट्ठे हुआ करते थे। रैंबो ने उसी समय वीरप्पन को पकड़ने का फैसला किया और अपनी जीप से वीरप्पन (Veerappan) की तलाश में निकल पड़े। वीरप्पन को मालूम था कि रैंबो आएंगे, इसलिए उसने अपने आप को तैयार कर रखा था। संयोग से बीच में ही रैंबो की जीप खराब हो गई और फिर वहां से पुलिस की 2 बस में रेंबो वीरप्पन को पकड़ने के लिए अपने जत्थे के साथ निकले। जिसमे से एक बस में रैम्बो 15 मुख़बिरों, 4 पुलिसवालों और 2 जंगल के गार्ड के साथ सवार हुए।

दूसरी बस में अपने छह साथियों के साथ तमिलनाडु पुलिस के इंस्पेक्टर अशोक कुमार बैठे थे। वीरप्पन ने दूर से ही रैंबो को बस की अगली सीट पर बैठे हुए देखा और फिर अपने साथियों को सूचित कर दिया। सूचना मिलते ही वीरप्पन (Veerappan) के साथियों ने रास्ते पर बारूद बिछा दी। जैसे ही बस उस स्थान पर आई एक ज़बरदस्त धमाका हुआ जिसमे 3000 डिग्री सेल्सियस का तापमान पैदा हुआ।

इतना जबरदस्त धमाके की वजह से बस कई फीट ऊपर हवा में उछल गई। और जितने भी लोग उस बस में सवार थे उन सभी के चिथरे 1000 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से जमीन पर गिरी। कई लोग ऐसे थे जिन की लाश कई फीट दूर तक गिरी थी।

Veerappan Photos
गाड़ी में धमाका

धमाका इतना जबरदस्त होगा इसका अंदाजा वीरप्पन (Veerappan) को भी नहीं था। कुछ देर बाद जब इंस्पेक्टर अशोक कुमार की बस वहां पहुंची तो उनके होश फाख्ता हो गए। उन्होंने 21 क्षतविक्षत शवों की गिनती की। बाकी बचा एक व्यक्ति वहां से थोड़ी दूर जाकर गिरा था इसीलिए उस बदहवास स्थिति में अशोक कुमार ने उनकी 21 शवों को दूसरे बस में रखा और वहां से निकले। यह पहली घटना थी जिसने वीरप्पन को पूरे भारत में कुख्यात कर दिया।

उसके बाद वीरप्पन के अपराध का ग्राफ जैसे जैसे ऊपर गया वैसे वैसे तमिलनाडु के मुख्यमंत्री की नींद उड़ती गई। वीरप्पन का नाम तो सबको पता था लेकिन पुलिस उसे पकड़ने में कामयाब नहीं हो पा रही थी।एक बार एक वन अधिकारी श्रीनिवास ने वीरप्पन को गिरफ़्तार भी किया था. लेकिन उसने सुरक्षाकर्मियों से कहा उसके सिर में तेज़ दर्द है, इसलिए उसे तेल दिया जाए जिसे वो अपने सिर में लगा सके। वीरप्पन ने तेल मंगवाया और फिर उस तेल को सिर में लगाने की बजाय उसे अपने हाथों में लगाया और कुछ ही मिनटों में हथकड़ी छुड़ाकर वहां से भाग गया।

‘पुलिस वाले का सर काटकर फुटबॉल खेला’

वीरप्पन (Veerappan) कुछ समय तक हिरासत में भी रहा था लेकिन भागने के बाद वीरप्पन ने श्रीनिवास से बदला लेने के लिए उसे अपने जाल में फंसाया।वीरप्पन ने अपने छोटे भाई अरजुनन श्रीनिवास के पास भेजा। वहां अर्जुन ने श्रीनिवास से कहा कि उसका भाई हथियार डालना चाहता है इसलिए वह उनके साथ चलें। श्रीनिवास तुरंत अपने दल बल के साथ वहां से निकले लेकिन जब तक वह वीरप्पन के इलाके में पहुंचे तब तक उनके दल के लोग एक एक करके वहां से भाग गए।

श्रीनिवास सिर्फ वीरप्पन के भाई के साथ वीरप्पन (Veerappan) के सामने पहुंचे। श्रीनिवास ने वीरप्पन को देखा, उसने भयंकर मूछें रखी थी और उसके हाथ में एक राइफल था। अचानक वीरप्पन जोर जोर से हंसने लगा, श्रीनिवास को लगा कि कुछ गड़बड़ है ।उसने पीछे मुड़कर देखा लेकिन वहां सिर्फ वीरप्पन का भाई खड़ा था। वीरप्पन ने हंसते-हंसते फायरिंग शुरू कर दी और जब श्रीनिवास इस दुनिया को छोड़ कर चले गए तब वीरप्पन ने उनके सिर को काट कर अपने दोस्तों के साथ श्रीनिवास के कटे हुए सर से फुटबॉल खेला।

‘वीरप्पन की बेटी और मशहूर अभिनेता का अपहरण’

Veerappan kidnapped Actor Rajkumar
वीरप्पन और अभिनेता राजकुमार

साल 1993 में वीरप्पन (Veerappan) को एक बेटी हुई,उस वक्त उसके गैंग के सदस्यों की संख्या 100 के पार पहुंच चुकी थी,अब बच्ची नवजात थी इसलिए लगातार रोती थी। एक बार उसके रोने की वजह से वीरप्पन मुसीबत में पड़ गया था। उसके रोने की वजह से वीरप्पन को पकड़े जाने का भय हुआ और इसलिए वीरप्पन(Veerappan) ने अपनी नवजात बच्ची का कत्ल कर दिया। और उसके शव को जंगल में ही दफना दिया। बाद में इस बच्ची का शव कर्नाटक एसटीएफ को मिला था।इसके बाद साल 2000 में वीरप्पन(Veerappan) ने दक्षिण भारत के मशहूर अभिनेता राज कुमार का अपहरण कर लिया.

राजकुमार 100 से अधिक दिनों तक वीरप्पन(Veerappan) के चंगुल में रहे. इस दौरान वीरप्पन ने कर्नाटक और तमिलनाडु के राज्य सरकारों को घुटनों पर ला दिया. वीरप्पन के आतंक से बौखलाई तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने साल 2001 में दिन के 11:00 बजे एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के विजय कुमार को फोन किया। विजय कुमार के फोन उठाते ही मुख्यमंत्री साहिबा ने कहा कि हम आपको तमिलनाडु स्पेशल टास्क फोर्स का प्रमुख बना रहे हैं, आपको कल तक वीरप्पन(Veerappan) का काम तमाम करने का आदेश मिल जाएगा।

विजय कुमार ने प्रभार संभालते ही वीरप्पन को मारने के लिए रणनीति बनानी शुरू की। वीरप्पन(Veerappan) को वीडियो और ऑडियो बनाकर लोगों के बीच भेजने का शौक था। इसे वीडियो से पता चला कि वीरप्पन की आंख में समस्या है। विजय कुमार ने तय किया कि वह अपने दल में ज्यादा लोगों को नहीं रखेंगे। क्योंकि एक बार जब इतने बड़े लोगों के साथ हलचल होगा तो इसकी खबर वीरप्पन को पहुंच जाएगी। विजय कुमार ने एक रणनीति बनाई जिसके मुताबिक वीरप्पन को आंख का इलाज करने के बहाने उसे जाल में फंसाया जाए।

‘वीरप्पन का खेल खत्म’

Veerappan death
इसी एम्बुलेंस में हुआ वीरप्पन का इन्काउनर

18 अक्टूबर 2004 का समय था,जब एक खास तरीके का एंबुलेंस बनाया गया, और वीरप्पन(Veerappan) को जब इस एंबुलेंस से ले जाया जा रहा था तो उस एंबुलेंस में एसटीएफ के 2 लोग पहले से बैठे हुए थे। वीरप्पन ने खुद को पहचानने से बचने के लिए अपने मूछों को कटवा दिया था। वीरप्पन को जिस रास्ते से अस्पताल ले जाया जा रहा था उस रास्ते पर पहले से विजय कुमार अपनी टीम के साथ तैनात थे। एंबुलेंस जब उनके पास पहुंची तो उसमे बैठे एसटीएफ के लोगों ने अचानक ब्रेक लिया।

गाड़ी काफी तेज थी इसलिए गाड़ी के रुकते ही टायर से धुंआ निकलने लगा। एसटीएफ का एक व्यक्ति विजय कुमार के पास जाकर चिल्लाया कि वीरप्पन गाड़ी में बैठा हुआ है। विजय कुमार ने लाउडस्पीकर पर वीरप्पन को सरेंडर करने की घोषणा की। लेकिन अचानक एंबुलेंस से फायरिंग शुरू हो गई। जवाबी कार्रवाई में कुल 338 राउंड गोलियां एसटीएफ के तरफ से चलाया गया। जिसके बाद एंबुलेंस से गोलियां चलानी बंद हो गई। और 10:50 पर एसटीएफ का एक व्यक्ति जोर से चिल्लाया ऑल क्लियर। इसी के साथ वीरप्पन अपने तीन साथियों के साथ मारा गया।

हालांकि विजय कुमार जब एंबुलेंस के पास पहुंचे तो उस वक्त वीरप्पन(Veerappan) की सांसे चल रही थी। चल की बात यह थी कि कुल 338 राउंड की फायरिंग में उसे सिर्फ 2 गोलियां लगी थी। एक गोली उसके आंख में लग कर भेजे से निकली थी। वीरप्पन(Veerappan) को जल्दी अस्पताल भेजने का निर्णय लिया गया, लेकिन वीरप्पन की मौत उससे पहले हो गई। अस्पताल में जब वीरप्पन का पोस्टमार्टम हुआ तो पता चला कि वीरप्पन का शरीर इतना मजबूत था की 52 वर्ष के होने के बावजूद वह 25 वर्ष के व्यक्ति की तरह मजबूत था।

वीरप्पन के मरते ही विजय कुमार ने जयललिता को फोन किया। लेकिन रात का समय था और जयललिता सो चुकी थी। उनकी सचिव शीला बालकृष्णन ने फोन उठाकर कहा कि मैडम सो गई हैं। विजय कुमार ने कहा कि जल्दी मेरी उनसे बात करवाइए मुझे उन्हें खुशखबरी देनी है। तुरंत जयललिता को फोन दिया गया और विजय कुमार ने फोन पर कहा “Mam, we have got him” और इसी के साथ वीरप्पन का अंत हुआ और आतंक के इस पन्ने को पूरी तरीके से खत्म कर दिया गया।

आज वीरप्पन को मरे हुए ठीक 17 साल हो गए हैं लेकिन आज भी जब वीरप्पन का नाम सामने आता है तो लोगों के मन में आतंक के उस सौदागर की याद ताजा हो जाती है। तो यह पूरी कहानी थी वीरप्पन की।

‘Veerappan: पूरी VIDEO देखिए

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