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Narendra Narayan Yadav: 28 साल से विधायकी नहीं हारे,कभी CM की रेस में थे.. विधानसभा के नए उपाध्यक्ष के बारे में जानिए!

Bihar Vidhansabha: बिहार के पूर्व उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी के इस्तीफे के बाद नरेंद्र नारायण यादव (Narendra Narayan Yadav) बिहार विधानसभा के नए उपाध्यक्ष बनाए गए हैं,इसके साथ ही नरेंद्र नारायण, यादव जाति से बिहार विधानसभा का उपाध्यक्ष बनने वाले दूसरे नेता बन गए हैं..लेकिन क्या है उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि? आइए आपको बताते हैं..

Narendra Narayan Yadav
बिहार विधानसभा के नए उपाध्यक्ष

‘2014 का लोकसभा चुनाव याद कीजिए’

2014 का चुनाव जरा याद कीजिए जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के खराब प्रदर्शन से आहत होकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया था, अचानक इस फैसले से सब कोई हैरान था और एक सवाल सबके मन में घूम रहा था कि नीतीश कुमार के बाद अगला सीएम कौन होगा? तभी एक नाम काफी चर्चा में आया और ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि नरेंद्र नारायण यादव (Narendra Narayan Yadav) बिहार के नए मुख्यमंत्री बनाए जायेंगे हालाकि आखिरी वक्त में जीतन राम मांझी ने बाजी मार ली और नरेंद्र नारायण यादव सीएम की कुर्सी पर बैठते-बैठते रह गए थे।

‘नरेंद्र नारायण यादव को जानिए’

उपर हमने आपको नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) के राजनीतिक कद का एहसास कराया लेकिन नरेंद्र नारायण यादव की इससे इतर पहचान ये है:

जन्म व स्थान:16 जनवरी 1951,बाला टोला,मधेपुरा
उम्र:73 साल
पार्टी:जदयू
शैक्षणिक योग्यता: ग्रैजुएट
राजनीति में एंट्री: 1967(जेपी आंदोलन)
विधायकी: 1995 से वर्तमान
विधानसभा क्षेत्र: 70,आलमनगर( मधेपुरा)
परिवार: पत्नी, 4 बेटियां,1 बेटा
पेशा: राजनीति
कुल संपत्ति: 2,01,83,564 (2 करोड़+)

Narendra Narayan Yadav:राजनीतिक सफर’

नरेंद्र नारायण यादव नीतीश कुमार के उनके सीएम बनने के शुरुआती दौर से साथ हैं और इनकी गिनती साफ सुथरे नेताओं में होती हैं,हालाकि वेबसाइट myneta.info के मुताबिक उनके ऊपर आर्म्स एक्ट तहत किशनगंज में एक मामला दर्ज है। ये मामला 1999 का है,हालाकि अब तक इस मामले में उन्हें कोई सजा का मुकर्रर नहीं हुई है।
1967 से जेपी आंदोलन में कूदे नरेंद्र नारायण(Narendra Narayan Yadav) पहली बार 1995 में जनता पार्टी से विधायकी का चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे और जनता का प्यार उन्हें ऐसा मिला की 70,आलमनगर(मधेपुरा) का ये सीट उन्हीं का होकर रह गया और लगातार पिछले 28 साल से नरेंद्र नारायण वहां से विधायक हैं।

विधानसभा क्षेत्र संख्याविधानसभा सीट नाम जन्मदिननिर्वाचित वर्ष
70आलमनगरनरेंद्र नारायण यादव16-01-1951अप्रैल 1995,
मार्च 2000,
मार्च 2005,
नवंबर 2005,
नवंबर 2010,
नवंबर 2015,
नवंबर 2020

‘मंत्रालय का प्रभार’

2005 में पहली बार नीतीश सरकार में उन्हें ग्रामीण कार्य मंत्री बनाया गया,फिर 2010-14 तक वे राजस्व और भूमि सुधार एवं विधि विभाग के मंत्री रहे। 2014 में हटे लेकिन फिर 2015 में ये दोनों मंत्रालय उन्हें दे दिया गया। 2019 में इन्हें लघु जल संसाधन विभाग के मंत्री रहे।

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‘बिहार विधानसभा के नए उपाध्यक्ष’

Narendra Narayan Yadav nominating for position of deputy speaker of Bihar Vidhansabha
नरेंद्र नारायण यादव सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी में नोमिनेशन करते हुए

बिहार विधानसभा में बजट सत्र के छठे दिन उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने अचानक इस्तीफा दे दिया था, यह इस्तीफा चर्चा का विषय बनता इससे पहले ही महेश्वर हजारी ने खुद साफ कर दिया कि उन्होंने नीतीश कुमार से चर्चा करने के बाद स्वेच्छा से यह फैसला लिया है। हालांकि बाद में यह कयास भी लगाया गया कि महेश्वर हजारी कैबिनेट विस्तार के बाद मंत्री बनाए जा सकते हैं।


इधर इस्तीफा के बाद विधानसभा के नए उपाध्यक्ष के लिए निर्वाचन की तारीख भी घोषित हो गई, इस बीच नीतीश कुमार सदन स्थगित होते ही अपने पार्टी के एक नेता को लेकर स्पीकर और सचिव के पास पहुंचे जहां पर उन्होंने अपनी मौजूदगी में नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) का नॉमिनेशन करवाया।


नॉमिनेशन करने के बाद जब नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) सदन से बाहर निकले तो उन्होंने खुद उपाध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेशन करने वाले खबर की पुष्टि कर दी और आज 23 फ़रवरी 2024 को निर्विरोध तरीके से नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) विधानसभा के नए उपाध्यक्ष चुन लिए गए हैं।

‘उपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाले दूसरे यादव’

Gajendra Prasad Himanshu and Narendra Narayan Yadav
गजेन्द्र प्रसाद हिमांशु और नरेंद्र नारायण यादव

बिहार विधानसभा के इतिहास में नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) दूसरे ऐसे यादव नेता बन गए हैं जो विधानसभा के उपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे हैं, इससे पहले गजेंद्र प्रसाद हिमांशु 1980 से 1985 तक बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे थे।
नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) के उपाध्यक्ष बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब एनडीए सरकार में विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष एक ही जाति से है जबकि इससे पहले एनडीए सरकार में हमेशा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की कुर्सी एक अगड़ा और एक पिछड़ा समाज के नेता को दिया जाता रहा है।

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‘यादव जाति के नेता क्यों बने उपाध्यक्ष’

बिहार में राजनीति, जाति के इर्द-गिर्द घूमते रहती है। अभी हाल ही में जातीय जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में हिंदुओं में सबसे बड़ी आबादी यादव की है जो 14.24% के करीब है और ऐसे में यह माना जा रहा है की यादव जाति से आने वाले नेता को उपाध्यक्ष और अध्यक्ष इसलिए बनाया गया है ताकि लालू यादव की पार्टी राजद के कोर वोट बैंक में सेंधमारी की जा सके।

नरेंद्र नारायण यादव(Narendra Narayan Yadav) मधेपुरा से आते हैं और मधेपुरा के बारे में एक पुरानी कहावत प्रचलित है “रोम पोप का और मधेपुरा गोप का”, मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में लगभग साढे तीन लाख वोटर यादव जाति से हैं और पॉलिटिकल एक्सपर्ट के मुताबिक नीतीश कुमार की नजर इसी वोट बैंक पर है। इससे पहले मधेपुरा से ही आने वाले वरिष्ठ जदयू नेता विजेंद्र प्रसाद यादव को भी मंत्रालय में जगह दी गई है, हालाकि विजेंद्र यादव जदयू के कद्दावर नेता हैं और लंबे समय से वो बिहार सरकार में मंत्री हैं। नीतीश कुमार कैबिनेट के आस पास कुछ नेताओं को परमानेंट घेरा होता है जिसमे विजेंद्र यादव भी एक हैं।

‘नए उपाध्यक्ष का कार्यकाल’

अगर नीतीश कुमार अब एनडीए को नहीं छोड़ते हैं तो विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने तक नरेंद्र नारायण सदन के उपाध्यक्ष बने रहेंगे। नई सरकार के गठन के बाद पुरानी विधानसभा भंग हो जायेगी और फिर नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने जाएंगे।

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